संदेश

बहुत खास हो तुम मेरे लिए, मगर जिक्र हर बार तुमसे 'रीना ' करे यह ज़रूरी तो नहीं  ।
देखे है जो हमने ख्याब वो तुम बिन सब अधूरे है , पर ज़माने की निगाहों में हम आज भी पूरे है ।
आज फिर यह निगाहें तरस रही  हैं तेरे दीदार को, काश ! कुछ पलों के लिए पंख लग जाये , और उड़ के चली आये 'रीना' तेरे पास !!
मेरी समझ से बाहर है , यह तेरी महोब्बत,  तुम मुझसे करते भी हो,  और जमाने से डरते भी हो।
तेज़ हवाएँ चली, बादल गरज़े और फिर बरसा पानी , आज 'रीना' को फिर याद आई वो भूली बिसरी कहानी ।
रूह से महसूस करोगे तो तुम,  'रीना'को अपने बेहद करीब पाओगे, पर अगर निगाहों से ढूँढोगें , तो फिर हमें ढूढते ही रह जाओगे ।
नाराज़गी चाहे कितनी भी क्यों ना हो तुमसे , पर तुम्हें छोड़ देने का ख्याल इक पल नही रखती 'रीना '।
खुदा नें लिखा ही नहीं उसे मेरी किस्मत में , वरना खोया तो बहुत कुछ था उसे पानें के लिए ।
उदास कर देती है हर रोज़ ये शाम मुझे, लगता है तू भूल रहा है ' रीना ' को धीरे-धीरे।
ऐ माँ, तेरी सूरत से सुदंर कोई मूरत ही नही, एक तू जो हो 'रीना ' के साथ तो किसी ओर की जरूरत ही नही ।