संदेश

अच्छा ........... Kuch कुछ इस कदर अच्छा लगने लगा है तु हमको , कि अब तो अच्छे अच्छे भी भूलने लगे है  हमको   AACHA....... Kuch is kader aacha lagne laga hai tu hamko , Ki ab toh  Aache Aache bhi bhoolne lage hai hamko .
तुझ से नहीं तेरे वक्त से नाराज हू जो तुझे मेरे लिए कभी मिला ही नहीं । 
चाहत तो आज भी बहुत है उसके दिल मे ' रीना '  के लिए, बस इक वक़्त ही नही है उसके पास ।
रब के रंग भी कितने अजीब होते है , जो  दिल के करीब होते है वो नजरों से दूर होते है ।
बहुत खास हो तुम मेरे लिए, मगर जिक्र हर बार तुमसे 'रीना ' करे यह ज़रूरी तो नहीं  ।
देखे है जो हमने ख्याब वो तुम बिन सब अधूरे है , पर ज़माने की निगाहों में हम आज भी पूरे है ।
आज फिर यह निगाहें तरस रही  हैं तेरे दीदार को, काश ! कुछ पलों के लिए पंख लग जाये , और उड़ के चली आये 'रीना' तेरे पास !!
मेरी समझ से बाहर है , यह तेरी महोब्बत,  तुम मुझसे करते भी हो,  और जमाने से डरते भी हो।
तेज़ हवाएँ चली, बादल गरज़े और फिर बरसा पानी , आज 'रीना' को फिर याद आई वो भूली बिसरी कहानी ।
रूह से महसूस करोगे तो तुम,  'रीना'को अपने बेहद करीब पाओगे, पर अगर निगाहों से ढूँढोगें , तो फिर हमें ढूढते ही रह जाओगे ।