संदेश

जमाना

 जमाना बदले तो कुछ गम नहीं , मगर जो तू बदला तो ' रीना ' दुनिया बदल लेगी ।

तुम

 जो घट रहा है मुझमें वो मैं हूं , और जो बढ़ रहा है " रीना  " में वो तुम हो ।

अनजाने

 यह दिल ढूढता है तुमसे मिलने के बहाने, ना जाने क्यों " रीना "  अपने से लगने लगते हैं अनजाने ।

माँ

         "भजन" चलो माँ का बुलावा आया है , नवरात्रों का त्योहार आया है, माँ के हर इक मंदिर में , भक्तो ने मेला लगाया है । 1)  कोई माँ को चुनरी चढ़ाये,  कोई चूड़ियाँ और हार पहनाये, तो कोई माँ को भोग लगाये , हर इक भक्त ने घर में मंदिर सजाया है। 2) निसदिन माँ की जोत जलाओ, धूप, अगरबत्ती तुम सब जलाओ, माँ शेरावाली की आरती भी गाओ, भक्तो ने यह सबकुछ माँ से ही तो पाया है। 3) कुछ भक्त माँ के भजन कीर्तन कराये , कुछ वैष्णों देवी के दर शीश झुकाये, और कुछ दुर्गा स्तुति का पाठ सुनाये, " रीना " ने तो माँ को अपने रोम- रोम में समाया है ।         " रीना भूषण गुप्ता "

माँ

 जय माता दी, जय माता दी,करती जाऊँ मैं शाम सवेरे,   माँ तुम मिटा दो " रीना " के  जीवन के सभी अंधेरे 🙏

फासले

  तेरे मेरे बीच बढ़ रहे है यह जो फासले , यह हमारे नहीं ये तो "रीना"  रब के है फैसले ।

बातें

 यूँ तो हजारों बातें होती है हमारे बीच रात-दिन, फिर भी "रीना" की लाखों बातें रह जाती है अनकही !

इश्क

 गम लिखूँ या इश्क में दर्द की सजा लिखूँ , सबने तो लिखी शायरी, क्यूँ ना ' रीना  ' मैं दवा लिखूँ ।

बेखबर

 सजा देनी हमको भी आती है  ओ बेखबर ..... पर तू तकलीफ से गुजरे  बस यह "रीना" को गवारा नहीं।

बेक़रार

ना पूछ दिल की हक़ीक़त मगर ये कहता है,  कि वो बेक़रार रहे जिसने " रीना " को बेक़रार किया है ।