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बातें

 यूँ तो हजारों बातें होती है हमारे बीच रात-दिन, फिर भी "रीना" की लाखों बातें रह जाती है अनकही !

इश्क

 गम लिखूँ या इश्क में दर्द की सजा लिखूँ , सबने तो लिखी शायरी, क्यूँ ना ' रीना  ' मैं दवा लिखूँ ।

बेखबर

 सजा देनी हमको भी आती है  ओ बेखबर ..... पर तू तकलीफ से गुजरे  बस यह "रीना" को गवारा नहीं।