संदेश

कदर

  कुछ इस कदर अच्छा लगने लगा है तू हमको , कि अच्छे अच्छे भी भूलने लगे है अब तो "रीना" को।

बिछुड़

ये यादें क्यों नही बिछुड़  जाती ,             "रीना" लोग तो पल में बिछुड़ जाते है ।

खुशबू

  " खुशबू"  कुछ लोग खुशबू की तरह होते है "रीना"  रोज महसूस तो होते है  पर दिखाई नहीं देते।

चाहत

अजीब सी चाहत है इस दिल की भी,  ' रीना ' तुझे देख कर फिर , देखने को जी चाहता है ।

यादें

 भूल जाये पर "रीना"  किसको  तुमको या तुम्हारी यादों को।

पल

 जब तुम साथ होते हो तो वक़्त पल में गुजर जाता है, और जब दूर होते हो 'रीना' को पल भी घंटों सा लगता है ।

फ़ासले

तेरे मेरे बीच बढ़ रहे है यह जो फासले , यह हमारे नहीं ये तो रब के है "रीना"  फैसले ।

पंसद

 उसकी बातें तो पसंद है ही मुझे , मगर उससे भी ज्यादा " रीना  " को वो । 

ख्याब

 यह आँखे ख्वाब देखती है हज़ारों , हर ख्वाब पूरा हो " रीना "  का जरूरी तो नही ।

निगाहें

  "   निगाहें " जब जब तेरी निग़ाहों से  ये निग़ाहें टकराती हैं , खुदा की कसम ... ' रीना  ' की तो साँसे ही थम जाती हैं ।