माँ
"भजन"
चलो माँ का बुलावा आया है ,
नवरात्रों का त्योहार आया है,
माँ के हर इक मंदिर में ,
भक्तो ने मेला लगाया है ।
1) कोई माँ को चुनरी चढ़ाये,
कोई चूड़ियाँ और हार पहनाये,
तो कोई माँ को भोग लगाये ,
हर इक भक्त ने घर में मंदिर सजाया है।
2) निसदिन माँ की जोत जलाओ,
धूप, अगरबत्ती तुम सब जलाओ,
माँ शेरावाली की आरती भी गाओ,
भक्तो ने यह सबकुछ माँ से ही तो पाया है।
3) कुछ भक्त माँ के भजन कीर्तन कराये ,
कुछ वैष्णों देवी के दर शीश झुकाये,
और कुछ दुर्गा स्तुति का पाठ सुनाये,
" रीना " ने तो माँ को अपने रोम- रोम में समाया है ।
" रीना भूषण गुप्ता "
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