संदेश

बातें

 यूँ तो हजारों बातें होती है हमारे बीच रात-दिन, फिर भी "रीना" की लाखों बातें रह जाती है अनकही !

इश्क

 गम लिखूँ या इश्क में दर्द की सजा लिखूँ , सबने तो लिखी शायरी, क्यूँ ना ' रीना  ' मैं दवा लिखूँ ।

बेखबर

 सजा देनी हमको भी आती है  ओ बेखबर ..... पर तू तकलीफ से गुजरे  बस यह "रीना" को गवारा नहीं।

बेक़रार

ना पूछ दिल की हक़ीक़त मगर ये कहता है,  कि वो बेक़रार रहे जिसने " रीना " को बेक़रार किया है ।

ख्वाब

 ना जाने किस बात पे , नाराज है वो "रीना" से , खयाबो में भी मिलता है, तो बात नहीं करता ।

ज़िंदगी

 तेरे बिना मेरा दिन तो गुजरता नही "Reena" की जिंदगी क्या गुजरेगीं ।

वक़्त

 वो मांँगतें हैं हमसे वक्त हमारा , पर उनको कैसे बताऊँ कि, ' रीना ' को तो खुद वक्त ने है मारा ।

अफसाना

 बहुत कुछ सोचा था तुमसे मिलकर बताने को, पर सुना नही पाये तुमसे हम अपने अफ़साने को, नजरें भी ना मिला पाये तुमसे तो हम, " रीना  " कहे दिल की बात तो इक तरफ रही सुनाने को।

नज़रअंदाज

सोचते थे कि हम भी नजरअंदाज करेगे उसको उसी की तरह , पर "रीना" हीं कर सकते यह जुल्म क्योंकि इसका दर्द हम जानते हैं ।

बेवफाई

" बेवफाई " तेरी बेवफाई से वाकिफ़ ना थे हम,  वरना यूँ तुमसे दिल लगाने की गुस्ताखी ना करते ।